डिजिटल सुरक्षा आरो भाषाई अधिकार कैसें जुड़े छे सच्चे-कें समावेशी इंटरनेट लेली. एगो अंगिका-भाषी सें सीख

Illustrated by Pranav Kumar for Rising Voices

पिछला दशकोम भारत देश मोबाइल फ़ोन इस्तेमाल करे वाला आरो इंटरनेट चलबे वाला लोग कें मामला म बहुत आगू बढ़लो छे| साल 2021 कें अक्तुबरो-म भारतोम 7000 लाख इंटरनेट चलबे वाला आरो 6000 लाख स्मार्टफोन चलबे वाला लोग छेले| एकरा मतलब ई होले की समुच्चे दुनिया-म भारतो-म सबसें बेसी डाटा इस्तेमाल हुवे छे| हेकरा अलाबे, 2020म एशिया पेसिफिक-म भारत दोसरो नमबर पे छलै सबसे बेसी साइबर धावा कें मामलाम| ते सवाल उठे छे की इंटरनेट आरो फोन भारतो-क दशक सें बेसी भासा बोले वाला लोग लेली बनलो गेलो छे की नै? कि लोग  इंटरनेट आरू डिजिटल टेक्नोलॉजी चलाबै म कैसे सुरक्षित महसूस करे छे, नैय ते सुरक्षा सें चलाबे लेली केना सीखे छे? अंगिका भासी होवे क नाता सें हम्मे ई सन्ही बारे जानकारी जमा करलिये|

हमरो जनम आरो पालन पोसन बिहार में होले, आरो हम्मर मातृभाषा अंगिका छे| यहाँ बड़ो होते होते हम्मे यहांकरो सामाजिक, भाषाई, आरो टेक्नोलॉजी क मामलाम बदलाव देखलिये| करीब दु दशक पेहनै, एक दु लोग छोराय के केकरो लंग घोरोम कोय डिजिटल यंत्र नैय छेले, कुछे लोग हिन्दी बोले छेले, आरो जवान लोग जें जन मजदूरी लेली बहार जाय छेले होकरा लोगें ‘भैग गेले/भागलो’ कहे छले| याय कें समय म सबहु घर मोबेल छे, लोग (बेसी करी क नौजवान लोग) घरोक बहार हिन्दीम बात करेल चाहे छे, आरो बालिग होवे पर दोसरा राज्यो म बसना नोवो बात नय छे| 

हम्मर आवलोकन म ई सब बदलाव कें पीछे मोबाइल फोन आरो इंटरनेट के बोड़ो हाथ छे, काहे की ई सन्ही के कारन ई जगह दुनिया सें बेसी जुड़ले| ई अचरज वाला बात छे की एक तरफ संचार आरो मन बहलावे लेली फोन वहां भी चलाय कें सुविधा छे जहाँ बिजली, रातदिन पानी, बढियां पढाय-लिखाय, आरो स्थिर  रोजगार अवसर के कम्मी छे| यहाँ साइबर क्राइम भी बहुत्ते होवे छे, याजकल लोग हैकिंग, स्कैमिंग कें लफड़ा म परे छे, अप्पन ओटीपी स्कैम करे वाला कें दे के भी बहुते लोग फसी जाय छे| लोगों क ई सब से बचाय लेली भी संस्थानिक कार्यवाही कम बुझाय पड़े छे| ते डिजिटल दुनिया कें सबहु लेली मित्रतापूर्ण बनाबे लेली कि कि जोररत छे? इ सवाल के जबाब जादा करी कें ऐसन देस म जन्ने मोबेल आरो इंटरनेट चलाबे वाला लोग करीब रोजे बढ़ी रहल छे, बहुत जरुरी छे|

येहे जवाब खोजे लेली हम्मे ई अनुसंधान करलिये| ई अनुसंधान के तहत हम्मे टोनापाथर आरो कटोरिया गाँव के किसान आरो किसान परिवार के नौजवान  सन्ही सें बात करलिये| हम्मर मकसद छेले की हम्मे ई जानिये की कैसें एक ठो समूह के लोग कैसें डिजिटल दुनिया क बारे म जानकारी लय छे नैय ते जानकारी के कमी कैसे पूरा करे छे? ई सवाल जादा करी कें तखनी जरुरी होय जाय छे जखनी लोग सामाजिक रूप से मजबूत भाषा जैसें की हिन्दी आरो अंग्रेजी नै जाने छे| ई अनुसंधान म हम्मर ध्यान भाषा, डिजिटल दुनिया कें जानकारी, आरो इंटरनेट पर अंगिका बोले वाला नौजवान कें उपस्थिति पर छेले| राइजिंग वॉइसेस टीम के सहायता सें करलो गेलो ई अनुसन्धान लेली अलग सें समय निकाललो गेले| हेकरा म परिक्षण, साक्षात्कार आरो तथ्य जमा होले, अनुभव, समझ बनले आरो डिजिटल दुनिया म मौजूदगी क बारे म पहलें सें मौजूद मान्यता सन्ही के परख होले| 

नउजवान अंगिकाभासी सें सीख

ई रिसर्च, अनुसन्धान लेली हम्मे 13 ठो अंगिका बोले वाला जवान लोक (17-30) कें साक्षात्कार/इंटरव्यू करलिये| ई इंटरव्यू सन्ही हम्मे ई बूझे लेली करलिये की ई सन्ही लेली डिजिटल दुनिया आरो इंटरनेट कें कैसे सुरक्षित बनैलो जाय पारेह, की कैसें इंटरनेट कें दुनिया क दरवाजा ई सन्ही लेली भी खुले| हम्मे योहो जानेल चाहे छेलिये की ई लोक कें इंटरनेट से जुड़ेक कारन की छे/ इंटरनेट सें काहे जुड़े छे, की ई सन्ही लेली डिजिटल सुरक्षा कें की मतलब छे, आरो ई सन्ही कें लंग जे सुविधा आरो भासा छे ओकरा सें ई लोग इंटरनेट की रंग चलाबे छे|

ई रिसर्च कें सब प्रतिभागी किसान छे नैय ते किसान परिवार सें नाता रखे छे| काहे की ई गाँव कें अर्थव्यवस्था खेती पर आधारित छे, तें खेती सें जुड़ल लोग कें प्रतिभागी राखेक मतलब होले की ई सन्ही ई गावं-क प्रतिनिधि आबादी मानलो जाय पारे| ई आलेख में “किसान” कें मतलब छे कोय भी आदमी जे खेती सें अप्पन पालन-पोसन करे छे, आरो जेकरा लंग खेती लेली तनी-मनी जमीन छे नैय ते कोय जमीन नय छे| सब्भी प्रतिभागी दलित समूह सें छे, समाज कें ऊ समूह जे जाती विभाजन में सबसें निचला स्तर पर मानलो जाय छे, काहे की भारत कें ई हिस्सा-म इतिहासिक रूप सें जमीन कें मालिकी जाती आरो जनम कें आधार पर होवे छेले| हालांकि जमींदारी 1951 म सरकार हटाय देलके, जमीन कें मालिकाना हक रखे वाला जाती कें लोगों-क विसेष फैदा सामाजिक आरो सांस्कृतिक- इज्जत आरो सुविधा क रूपो म बरकरार रहले, जे की दलित जाती वाला लोंग के नैय मिलले|

एगो आरो चीज जे ई रिसर्च म हम्मे जानलिये ऊ छे लिंगभेद, काहे की ई जगह म लिंग मानदंड रुढ़िवादी छे| जैसें की, बियाहल औरत लेली घरो म अपना सें जेठ (बड़ो) मरद कें सामने घूँघट/अचरा ओढ़ना जरुरी छे; औरत कें होकरो मरद नैय ते बच्चा कें नाम सें बुलैलो जाय छे| जैसें की, औरत सन्ही कें, “संकरो-क कनियाय”, “रुपेस माय” कें नाम सें बुलयलो जयते, खाली कागज-पत्तर कें काम में असली नाम डाललो जाय छे| औरत सन्ही सें ई अपेक्षा करलो जाय छे की बाहरो-म चुपचाप रहे; घरो-स बहार काम करे लेली भी सहमती नैय मिले छे| जाती आरो लिंग कें सन्दर्भ रिसर्च लेली जरुरी छे काहे की ई सब लोग कें इंटरनेट आरो डिजिटल दुनिया-म उपस्थिति ई सन्ही विभाजन सें प्रभावित होवे छे| हेकरा बारे-म हम्मे नीचें आरो बात करबे|

डिजिटल सुरक्षा, अंग्रेजी-म उपलब्ध विलासिता

प्रतिभागी सन्ही सें गप करी कें हम्मे ई बुझलिये की अंगिका भाषी लोग अप्पन भाषा छोड़ी रहलो छे| हेक्कर ढ़ेरी कारण छे| अंगिका में लिखित, मौखिक, नैय ते विडियो सामग्री, चाहे जानकारी कें बारे मे, चाहे मनोरंजन लेली नैय छे, जेकरा कारन लोग हेकरा पर आरो कम धियान देय रहल छे| होकरा उप्पर, समाचार लेली लोग अखबार पढ़ेक आदी नैय छे, आपस म बात करी कें| समाचार समझे लेली सिक्षा, बोड़ो भासा कें जानकारी, आरो सहर सें दूरी- ई सब कारन छे की लोक सन्ही कें समाचार पढ़े के आदत नैय छे| लोग इंटरनेट पर समाचार पर विश्वास करे लेली तैयार नैय छे काहे की सबहु कें अप्पन जानकार कें बात ही माने छे| हम्मर ई आकलन छे की नोवो लोग अंगिका कें येहे ली छोरी रहल छे काहे की होकर इंटरनेट पर जादा उपयोग नैय देखे छे| 

चाहे श्रमिक वर्ग आरो मजदूरी करे वाला लोगोक पास इंटरनेट आरो मोबाइल कें सुविधा पहुंची गेलो छे, लेकिन इंटरनेट सुरक्षा सें चलाबे कें सुविधा अभियों मोसकिले छे| इंटरनेट आरो फोन कें कैसें सुरक्षा सें चलाये जाय पारे हेकरा बारेम लोग कें नैय पता छे, जेक्कर सबसें बड़ा कारन छे की गाँव-म पढाय के मौका कम होवे छे, होकरा ऊपर सें सुरक्षा कें बारे में जानकारी आरो प्रसिक्षण लोगोंक अप्पन भासा-म आसानी सें नैय मिले छे| अखनी लोग लेली ‘डिजिटल सुरक्षा’ एगो सब्दजाल बनी कें रही गेल छे, हेकरा सें पता चले छे की डिजिटल माध्यम कें बारे-म लोगों लंग केतना कम जानकारी छे| एगो जवान किसान के ई कहे छे: “हमरा सोशल मीडिया रुल-उल कें बारे-म नैय पता छे| हमरा नैय पता छे काहे की हमरा होकरा सें ओतना मतलब नैय छे| हम्मे कमावे-खावे बला आदमी छिये, ई सब चीज सें हमरा की मतलब|”

प्रोजेक्ट म 13 गो-म 7 गो प्रतिभागी बतैलके की ऊ सन्ही सोशल मीडिया कें हैकिंग आरो फोन कॉल स्कैम कें शिकार कहियो-नैय-कहियो होलो छे| स्कैमर सन्ही फोनों-पर अपना-क बैंकर, टेलीमार्केटर बताय के नैय ते व्हाट्सएप हैक करी कें लोगों-स पैसा ठगी लय छे, आरो लोगों-क पता नैय छे की हेकरा सें कैसें बचलो जाय, जादा करि ई लेली काहे कि डिजिटल सुरक्षा-क बारे-म जानकारी प्रबल भाषा अंग्रेजी आरो हिंदिये-म होवे छे| येहे रंग सोशल मीडिया हैकिंगो-म होवे छे, जानकारी-क अभाव म लोगें अप्पन अकाउंट दुबारा नैय चलाय पारे छे| ई जादे अचंभा वाला बात नै छे काहे की प्रतिभागी लोग डिजिटल सुरक्षा क बारे मे अप्पन परिवार नै ते जान-पहचान क लोग सें ही सीखे छे| यहाँ तक की लोग फोन चलाबे लेली वेहे लोग सें सीखे छे, जे की एगो प्रतिभागी के हिसाब से खाली ‘कामचलताऊ’ होवे छे|

योहो गौर करे वाला बात छे की हम्मर तरफ कें लोगोम अप्पन भासा-क बारे-म एगो हीन भावना छे, जेक्कर कारन छे समाज में हेकरा बारे-म फैललो मिथ्या| डिजिटल सुरक्षा कें प्रयास के सफल होवे लेली ई जरुरी छे की भासा सन्ही कें विविधता के समझलो जाय, काहे की जेतना भासा छे होकरा दबाना मतलब होते की ऊ भासा बोले वाला लोग भी दबते| कुछ लोग कें मानना छे की डिजिटल सुरक्षा लेली लोगो कें अंग्रेजी पढ़एलो जाय| हम्मर ख्याल सें ई विचार व्यवहारिक आरो संभव नैय छे, आरो ई बात बोले कें पीछे लोगों के ई विस्वास छे की अंग्रेजी सें ही सुखी-संपन्न जीवन बनैलो जाय पारे|

बिहार में काय रंग कें भासा छे जेकरा ऊपर हिंदी थोपना इ सब पर भारी पड़लो छे| ई सब कें बारे-म गलत धारना भी छे, जेकरा-म सबसें मजबूत धारना ई भी छे की ई सब भासा हिंदीयेक एगो प्रकार छे आरो दोसरो भासा कें मुकाबला-म कम छे| 2020 कें राष्ट्रीय शिक्षा नीति भीं येहे धारना कें दर्शाबे छे| ओकरा हिसाबो-स देशज भासा एगो ‘पुल-भासा’ छे जेकरा खाली प्राथमिक शिक्षा लेली रखलो जाय, जेकरा बाद  विद्यार्थी सन्ही कें खाली सामाजिक रूप सें हावी भासा- हिंदी आरो अंग्रेजी पढ़यलो जाय| दोसरो बात ई छे की जवान लोगोंक बहार जाय पड़े छे, आरो बाहरोम देसी भासा-क उपेक्षा कें नजरो सें देखलो जाय छे| ई हम्मर अप्पनो अनुभव छे, हम्मर माय-बाबू भी झारखण्ड में विस्थपित होलो छेले कुछ साल लेली, जहाँ हम्मर पढ़ाय-लिखाय होले| वहां हम्मे अंगिका आरो दोसर देशज भासा कें प्रति पक्षपात देखलिये, समाजो-म आरो स्कूलो-म|

अखनी अंगिका-म डिजिटल सुरक्षा आरो बचाव लेली कोय ऑनलाइन संसाधन नैय छे जे लोग गूगल करी के देखे पारे, हेकरा सें अकेल्ले अंगिका बोले वाला लोग अपनेआपे अलाभ कें दशा-म पड़ी जाय छे| हम्मर समझ सें, ई साफ़ छे की जे लोग डिजिटल सेफ्टी कें समझे पारते वही सुरक्षित रहे पारते, जेकरा-म भासा कें बोड़ो हाथ छे| ई पुछला पर की जागरूकता कार्यक्रम कोन भासा-म रखलो जाय, एगो प्रतिभागी ई बोललके: “ अंगिका बढियां रहते| काहे की अंग्रेजी आरो हिंदी खाली ऊ सन्ही भासा समझे वला कें समझ आते| अगर लोकल भासा होते तें सबहु कें समझ आते|”

धियान दिये वाला बात योहो छे की जे लोग हाशिया पर छे- दलित समूह आरो औरत सन्ही, देखाय नै पड़े छे, ऑनलाइन आरो ऑफलाइन जगह-म भाग कम लिये पारे छे| जे प्रतिभागी सन्ही कें पृष्ठभूमि खेती-म छे ऊ सन्ही कें पढाय-लिखाय आरो नौकरी कें कम-सें-कम अवसर मिले छे, जेक्कर असर ई सन्ही कें डिजिटल सुरक्षा के बारेम जानकारी म भी दिखाय दय छे| ऊपर सें, दलित औरत सन्ही दू गुना दबलो छे| ई जगह कें डिजिटल दुनिया यहाँ कें समाज सें जुड़ल छे, आरो औरत सन्ही कें डिजिटल दुनियाम उपस्थिति पर भीं लिंगभेद कें असर दिखाय पड़े छे| इंटरनेट चलाबे वाली औरत सब कें बारे-म आवलोकन: औरत सन्ही कम इंटरनेट चलाबे छे, ई सन्ही अप्पन नाम सें सोशल मीडिया नैय चलाबे छे- ई लेली नैय की अप्पन गोपनीयता रखे पारे- ई लेली की अदृश्य रहे (वैसहें जैसें समाजो-म अदृश्य रहे छे)| जे कोय औरत कें अकाउंट हैक होय जाय, ते

अनुशंसा

डिजिटल दुनिया-म सुरक्षा लेली समावेशी रणनीति कें जरुरत छे, चाहे ऊ बिहार कें अंग छेत्र होवे चाहे भारत कें बात होवे| भारतो-म मोबाइल फ़ोन आरो इंटरनेट ते खूब चली रहल छे, हेकरा म सरकार कें ई जिम्मेवारी लिये कें जरुरत छे की इंटरनेट के बढ़ाव सें सुरक्षा कें जे खतरा होवे छे होकरा लेली करलो जाय| ई करे लेली हम्मर हिसाब सें नीति निर्माण करे वाला लोगोक भारत कें भासा कें मामला-म विविधता कें समझे आरो नीति सन्ही कें वही हिसाब सें लागू करे| 

बिहारो-म 88.82 प्रतिशत ग्रामीण (जेक्कर मतलब कम साधन भी छे) परिवार रहे छे, ई सब आरो डिजिटल असुरक्षा-म नैय पड़े हेकरा लेली हम्मर ई सब अनुशंसा छे:

  • देसी भासा आरो देसी उपकरण सन्ही कें प्राथमिकता देलो जाय|
  • जागरूकता कार्यक्रम ऊ माध्यम सें करायलो जाय जेकरा म लोगोक आराम रहे. जैसें की, ज्यादातर प्रतिभागी कें हिसाब सें आमने सामने, लोकल भासा-म प्रशिक्षण समझे लेली बेसी बढ़ियां रहते विडियो सें ट्रेनिंग कें मुकाबलाम| अब तक लेली जे साधन जागरूक करे लेली इस्तेमाल करलो जाय छे, जैसें की फ़ोन पर मेसेज आरो प्रधान मंत्री डिजिटल सुरक्षा अभियान ई सब में से कुछु सफल नैय होलो छे|
  • डिजिटल सुरक्षा लेली जे भी प्रयास करलो जाय ऊ जाती आरो लिंग के धियान में राखी कें करलो जाय, काहे की ई कारकों-स लोग कें डिजिटल सुरक्षा के आदत आरो जागरूकता पर असर पड़े छे|
  • नीति-म बदलाव कें जरुरत छे, काहे की एक-रूप कें समाधान वंचित लोग कें फैदा नैय पहुंचाबे पारे छे|

अप्पन भासा कें इस्तेमाल करना आरो डिजिटल टेक्नोलॉजी कें चलाना कें दु अलग-अलग चीज, एक दूसरा कें विरोध में नैय होना चाहिए, जादा करी कें ई लिए की बेसी सें बेसी लोग इंटरनेट आरो मोबाइल फ़ोन चलाबे लागलो छे, बात करे लेली आरो सामाजिकता लेली| भासा कार्यकर्त्ता सन्ही कें भी ई फ़र्ज़ बने छे की लोगों-क डिजिटल दुनिया-म जरुरत कें समझिये, आरो लोग कें जागरूक कराइए की भासा आरो डिजिटल सुरक्षा अधिकार के हक सबहु कें छे|

भाषा समूह सन्ही बारे आरो जानकारी आरो खिस्सा लेली “डिजिटल सिक्यूरिटी+भाषा” सें जुड़हो

 

सुद्धिकारक: कुमार गौरव

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