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कोविड—१९ महामारीके बखत नेपालमे पूर्वैया थारू भसाके हाइबरिड ढङके परचार–परसार

Categories: Digital Security + Language, Languages

Illustration by Lavkant Chaudhary for Rising Voices

संजीव चौधरी

राइजिङ भ्वाइसके सहयोगमे संजीव चौधरीके अध्ययन पूर्वैया थारू बक्ताकसब परयोग करैबला डिजिटल सुरक्षाके कदम मे अधारित

पूर्वैया थारू भसाके परचार–परसार करैले लागल समूह, थारू भसा साहित्य केन्द्र, मैहनाके पैहैनका सैन दिन भेटघाट करैछै। लकडाउनमे आमनेसामने भेट हैले मुसकिल भेलाके कारन ओकरौके अनलाइनमे जूम या फेसबुक लाइभ परयोग करैले सुरु कैलकै। आइकाइल इ हाइबरिड तरिका अन्तरकिर्या या उपस्थिति त बरहाइइले मदत कैनेछै महज ओकरेसङे सहभागी या आयोजकके लेल लबका चुनौति सेहो लाबने छै।    

थारू बक्ता, डिजिटल भासिक अधिकारवादी या अनुसन्धानकर्ता भेलाके कारन आमनेसामने या फेसबुक लाइभमे हैबला बैठकमे सहभागीसब डिजिटल सुरकछाके लेल कथि करैछै जानैके लेल हम बसघरामे उपस्थित भ्याके थारू भसा साहित्य केन्द्रके सदस्यसबसे अन्तरवार्ता लेलियै।  

नेपालमे थारू भसा

नेपालके जनसंख्याके ६.६ परतिसत थारू छै । अर्जुन गुणरत्नेके लिखल नामी किताब “मेनी टंग्स, वन पिपल — दि मेकिङ अफ थारू आइडेन्टिटि इन नेपाल मे उल्लेख केल्हा नहाइत हमरौके सांस्कृतिक तथा भासिक रूपमे विविध लोक चियै। तराइमे आपन आपन फरक भसा भेलहा बहौत थारू समूहसब रहैछः पुरुबमे कोचिला, बिचला भागमे चितौनिया थारू, या पछिममे दंगौरा, देसौरिया या राना थारू। थारू भसामे ठामअनुसार विविधता छै। ठामअनुसार ओकरौके मोरङिया, सप्तरिया, महोतरिया, चितौनिया, दंगौरा, कठरिया, या राना थारू कहैछै। पूर्वैया नेपालमे बोलैबाला थारू भसा ठामअनुसार कनहिक फरक हैछै महज अइ जिलासबमे समग्र रूपमे पूर्वैया थारू या त कोचिला थारू कहैछै।

थारू भारत–युरोपियन परिवारके भारतीय–आर्य भसा चियै,” भसाविद महेश चौधरी आपन अनुसन्धानपत्र सप्तरिया थारूके भसा [1]मे लिखनेछै। एकर बास्तबिक बिकास या सम्बन्ध पता लगााबैले बहौत कठिन छै। कोचिला ने त पूर्वैया थारू बोली या कैहबीमे बहौत धनिक छै या थारू जीबनके झलक दैछै। अइ भसामे बहौत अनुकरनात्मक शब्दसब सेहो छै।

बिगतमे इजोत, चिरखा, थारू संस्कृति लगायतके पत्रिका पूर्वैया थारू भसाके परचार–परसार करैले बहौत कोसिस करलकै। महज यीसब अखनु बन्द भ्यागेलछै। अइ कामके जारी राखैले थारू भसा साहित्य केन्द्र बसघरा बैठक सुरु करलकै। बसघरामे सहभागीसब आपन भसाके परचार–परसार करैले कविता, गीत या लेखसब प्रस्तुत करैछै। यी समूह तीन मैहनामे एक दाइब बसघरा पत्रिका सेहो प्रकासित करैछै। 

बसघराः बैठकी बैठैबला ठाम जैठना लोकसब आपन ज्ञान बाटैछै या लबका बिचारसबमे बातचीत करैछै।

पूर्वैया थारूमे बसघरा बैठकी बैठैबला ठाम चियै जैठना लोकसब लबका बिचारसबमे बातचीत करैछै। थारूसब मेजवानके घरमे लजाइसे पैहले बसघरामे राखैछै।

यी अनुसन्धानके सहभागी या पत्रकार तथा थारू भसा साहित्य केन्द्रकसे सचिब सहदेव चौधरी कहलकैः

आपन समाजके बुरहासब कहैछै कि बसघरा संस्कृति लोप भेल जाइछै। आब लोकसबके घरमे बसघरा नै छै। ओहै दुआरे हमरौके बसघरा संस्कृतिके बचाइले सोचलयै। काठमाडौंमे बहौत बच्चासबके बसघरा कथि चियै कैहके थाह नै छै। ओहै दुआरे यी बसघराके परचार–परसार मातरे नै कैरके थारू या गैरथारू सैबके बसघराके बारेमे जागरुक कराइतै। यी लबका बैठक चियै तैयो हमरौके एकरा बसघरा कहै चियै।

सन् २०२२ के जुन मैहनामे बसघरा कौलेजके कलासके सेटिङ लखा आयोजना भेलै। दर्शकसब कलासके बेन्चमे बैठके देखलकै या सुनलकै। प्रस्तोतासब पोडियममे ज्याके भासन या आपन प्रस्तुति करलकै। अहि बिचमे थारू भसा साहित्य केन्द्रके एक दुईटा सदस्य बैठकीके रेकर्ड करलकै या इन्टरनेटमे फसबुक लाइभ सेहो करलकै।

सैब किसिमके लोक बैठकमे उपस्थित भेलछेलै। अवकास लेलहा या बुर्हलोक, कौलेज जाइबला जवान बिद्यार्थी, स्कुल जाइबला बच्चासब, बिभिन्न संघसंस्थामे काम करैबलासब, संगीतकार, कलाकार, पत्रकार या गिरहिनीसब सेहो उपस्थित भेल छेलै। पैहने पैहने बसघराके बैठकमे खालि मरदसब मातरे रहै छेलै। बैठकमे समाचार, लेख रचना, कविता, या गानासब प्रस्तुत भेलै। जुन मैहनाके बैठकमे प्रस्तोतासब पोडियममे ज्याके प्रस्तुति देलकै महज मे मैहनाके बैठकमे सैब सहभागी आमनेसामने भ्याके प्रस्तुति देलकै। सहभागीसब प्रस्तुति देलकै, सुनलकै या देखलकै। तखनु कोनो कोनो सदस्यसब बैठकके रेकर्ड करलकै या इन्टरनेटमे फसबुक लाइभ सेहो करलकै।

जखनु थारू भसा साहित्य केन्द्र अनलाइनमे बैठक सुरु करलकै तखनु गामघरके सहभागीसबके बैठकमे भाग लैले मुसकिल भेलै। लकडाउनमे अनलाइन बैठक करैत खना भेलहा समस्या या भिने भिने उमेरके समुहके डिजिटल ज्ञानके बारेमे सहदेव चौधरी कहलकै, “लबका पुस्ता डिजिटल दुनियासे परिचित छै। बैठकमे भाग लैले बुर्हसबके मातरे समस्या भेलै। ओकरौके फेसबुकसे मातरे बैठक करैले कहलकै।

सहभागीसब खास कैरके मोबाइलसे बैठकमे भाग लेलकै या ओकरौके ब्यान्डविथके समस्या भेलै।  औरो त और ककरो ककरो फोनमे ब्यालेन्सो ओर्या जाइछेलै। इन्टरनेट जोरैके समस्याके बारेमे सहदव चौधरी कहलकै, “उदयपुर जिलाके बेल्हा फुलबैरिया टोलमे एकटा बैठकके समयमे जनिजाइतसब गाबैले सुरु करलकै या मोबाइलमे डाटा ओर्या गेलै, तैयो उसब गीत गाबते रैह गेलै। हमरौके मोबाइलमे पैसा भोइर देलयै महज तखनु तैक गीत ओर्या गेल छेलै।

फेसबुक सैबसे बेसी चलैछै तहैले ओकरौके जुमके बैठक फेसबुक लाइभसे देखाइलकै। जुममे बोलेलहा सहभागीसब मातरे भाग लैले पाबलै। कोनो कोनो बोलेलहा सहभागीके फेसबुकमे आबैले इनटरनेटके कारन मुसकिल भेलै या कम ब्यान्डविथके कारण बैठक बिचेमे बन्द भ्याजाइ छेलै।

थारू भसा साहित्य केन्द्रके सदस्यसबके अनुसार आमनेसामने या अनलाइन, दुनु किसिमके बैठकमे से अनलाइनबलामे सहभागीके हिसाबसे बहौत परभावी भेलै। सहदेव चौधरी कहलकैः

आमनेसामनेबला बैठकमे काठमाडौंमे रहैबला या ओकरौके परिवार मातरे सहभागी है छेलै। ओकरो औरके सैब दाइब नै आबै कथिले त सैन छुटीके दिन चियै या कहियो कहियो ओइ दिन ओकरौके परिवारसङे घुमैले चैल जाइ। आमनेसामनेबला बैठक बोलाइसे अनलाइनबला बैठकमे कम अबरोध हैछै। अनलाइनमे कानोे ठामके लोकसब भाग ल्यासकैछै।

अबलोकन या अन्तरवार्ताके आधारमे, बेसी सहभागीसबमे पहौचैले हाइबरिड तरिका परभावकारी देखल गेलै। पैहने सहभागी कम छेलै — काठमाडौंमे रहैबला या आयोजकके लगपासके लोकसब। महज फेसबुक लाइभके चलते देशभैरके बहुत सहभागीसब भाग लैले पाबलै या फेसबुक पोस्टमे आपनआपन विचार राखैले पाबलकै।

डिजिटल रूपमे सुरक्छित प्लेटफर्मः आदिवासी भसा परचार–परसार करैले आइके आबस्यकता

अबलोकन या अन्तरवार्ताके आधारमे, हम पता लगाइलयै कि थारू भसा साहित्य केन्द्रके सदस्यसब डिजिटल सुरक्छाके बारेमे सचेत छै महज ओकरौमेसे कोइओ ने डिजिटल सुरक्छाके तालिम लेने छै। महज आयोजकमेसे एक गोराके कुटुम डिजिटल सुरक्छाके सलाह दैछै।

ओनङ त बेसी सहभागीसब डिजिटल सुरक्छाके बारेमे सचेत नैछै। ओकरौके अनलाइनमे अंग्रेजीमे  पाबैबला डिजिटल सुरक्छाके टुलकिटके बारमे सेहो ने थाह छै या ओकरौके ओइ स्रोतमे पहौच नै छै कथिले त कोनो स्रोत ओकरौके भसामे उपलब्ध नै छै। महज सहजकर्तासब निस्चित करैछै कि बैठक या अन्तरकिर्या सुरक्छित छै। ओकरौके पासवर्ड ककरो ने दैछै या बैठक सन्चालन करैले सुरक्छित इन्टरनेट मातरे परयोग करैछै।

गामघरमे इन्टरनेट जोरैले समस्या हैछै या आहै दुआरे कम लोकसब अनलाइन बैठकमे भाग लैछै। बेसि सहभागीसब अनलाइन बैठकमे मोबाइलसे भाग लैछै। महज ओकरैके डिजिटल सुरक्छाके बारेमे थाह नै भेलासे फिसिङ या ह्याकिङके सिकार हैके सम्भाबना छै।

दिन परदिन पूर्वैया थारू बक्तासब घैट रहल छै। तहैले थारू भसा साहित्य केन्द्रसे आयोजना भेलहा बसघरा लखा बैठक भसाके जिवित राखैले या नवजुवकसबके आपन भसा बोलैले परेरना दैले जरुरी छै।

महज डिजिटल सुरक्छाके नजरअन्दाज करतै त लोकसक अनलाइन बैठकमे विस्वास नै करतै या बैठकमे सहभागी नै हेतै। ओइसे परस्ट भसा बोलैबलासबके संख्या और कम हेतै।

यी समस्यासबके देखके हम निचला बातसब सिफारिस करै चियैः

डिजिटल सुरक्छाके कदमसब अपनाइतै त बसघरा बैठक डिजिटल रूपमे सुरक्छित मातरे नै हेतै बल्कि संसारभैरसे सहभागीसब ह्याकर या असमाजिक तत्वसबके डरबिना अनलाइन बैठकसबमे भाग लेतै।  और बसघरा पूर्वैया थारू भसाके संरक्छन या परचार–परसार करैले लबका लबका विचार या कारजकरम तयार करैबला उत्साही लोकसबके एकठाममे लाबैले सफल हेतै।

For more stories and information from participating language communities, please visit the “Digital Security + Language” [4] project page

 

 

अनुवाद: सुमन चौधरी